पूरे घर मे इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह क्यो था?

इफ्फ़न की अम्मी (माँ) तथा बीजी (बड़ी बहन) कभी-कभार उसे डांट दिया करती थीं। उसके अब्बू भी घर को कचहरी समझकर फ़ैसला सुनाने लगते थें, बात-बात पर डांटने लगते थे। उसकी छोटी बहन नुज़हत मौका मिलने पर उसकी कांपियों पर तस्वीरें बनाने लगती थी। अर्थात् सभी उसको थोड़ा बहुत दुख पहुंचाते रहते थे। पूरे घर में इफ्फ़न को अपनी दादी से ही विशेष स्नेह था। यद्यपि प्यार तो उसे अपने अब्बू, अम्मी और बाजी से भी था तथापि दादी से उसे विशेष लगाव था। अब्बू तो कभी-कभी डॉट भी दिया करते थे परंतु एकमात्र दादी ही ऐसी थीं जिन्होंने उसका दिल कभी नहीं दुखाया था। दादी रात में इफ़्फ़न को प्यार से तरह-तरह की कहानियाँ जैसे बेरहम डाकू, अनारपरी, बारह बुर्ज, अमीर हमजा, गुलाब कावली, हाातिमताई, पंच फ़ुल्ला रानी आदि की कहानियाँ सुनाया करती थीं। दादी की भाषा भी इफ्फ़न को अच्छी लगती थी। यही कारण था कि इफ्फन अपनी दादी से बहुत प्यार करता था।


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